शनिवार, 25 अप्रैल 2009

चार कदम

चले जो कदम साथ मेरे
तो उससे प्यार हो जाए
थामे जो हाथ मेरे
तो अपने ही हाथ से प्यार हो जाए
जिस रात आए ख्वाबो में
उस सुहानी रात से प्यार हो जाए
जिस बात में आए जिक्र उसका
तो उस बात से प्यार हो जाए
जब थामे प्यार से हाथ मेरा
तो अपने ही हाथ से प्यार हो जाए
जब पुकारे प्यार से वो मेरा नाम
तो अपने ही नाम से प्यार हो जाए
होता है इतना खुबशुरत ये प्यार तो
काश उसे भी मुझसे प्यार हो जाए
--- प्रस्तुती---महेश शिवा