बुधवार, 9 नवंबर 2011

फसलों को रखे वातानुकूलित


महेश शिवा

एक ओर जहां फल और सब्जियों की खेती के लिए किसानों द्वारा विभिन्न तकनीकों को अपनाया जा रहा है, वहीं किसान भाई पॉली हाऊस के माध्यम से बे मौसमी फूल और सब्जियों की खेती कर अपनी आर्थिकी को सुधार सकते हैं। पॉली हाऊस के निर्माण के लिए राज्य और केंद्र सरकार द्वारा पचास प्रतिशत का अनुदान दिया जा रहा है।

अभी तक हिमाचल प्रदेश,उत्तराखंड आदि प्रदेशों में ही किसान पॉली हाऊस को फूल और सब्जियों की खेती के लिए प्रयोग करते रहे हैं। इन प्रदेशों में मिल रहे लाभ के बाद उत्तर प्रदेश में भी धीरे धीरे इसका क्रेज बढ़ रहा है। पॉली हाऊस का निर्माण काफी महंगा होने के कारण साधारण किसान अभी भी इससे जी चुराते हैं, लेकिन यह है बडे फायदे का सौदा। किसान भाई पॉली हाऊस या ग्रीन हाऊस के माध्यम से उन सब्जियों और फूलों की खेती कर सकते हैं, जिनकी सामान्य तौर पर सीजन में ही की जाती है। संक्रर प्रजाति के बीजों का प्रयोग पॉली हाऊस की खेती के लिए फायदेमंद रहता है। सामान्य उत्पादन से दुगना उत्पादन पॉली हाऊॅस में होता है।

पॉली हाऊस के माध्यम से की गई खेती को संरक्षित खेती भी कहा जा सकता है। संरक्षित खेती का भीप्राय सब्जियों, फूलों और औद्यानिक फसलों को तापक्रम, धूप, बारिश तथा अन्य विषम परिस्थितियों से बचाना है। पॉली हाऊस में सब्जियों और पुष्पों की खेती की असीम संभावनाएं हैं। पॉली हाऊस में तापक्रम को नियंत्रित कर प्रतिकूल मौसम में सब्जी फूलों का उत्पादन किया जा सकता है। संकर प्रजाति के महंगे बीजों की पौध तैयार करने में कम कीमत में निर्मित पॉली हाऊस काफी प्रचलित हो रहे हैं। टनल पाइप पॉली हाऊस में सर्दी के मौसम में टमाटर, शिमला मिर्च, करेला, खीरा तथा फूलों में जरबेरा, गुलाब, ग्लोडियरस आदि की खेती आसानी से की जा सकती है। इसके अलावा आफ सीजन फूलों और सब्जियों के बीज भी पोली हाऊस के माध्यम से तैयार किए जा सकते हैं। संरक्षित खेती के अंतर्गत पॉली हाऊस, प्लास्टिक टनल, शेडनेट की स्थापना को सरकार द्वारा प्रोत्साहन दिए जाने की व्यवस्था है।

कैसे तैयार करें पॉली हाऊस

पॉली हाऊस (ट्यूबलर स्ट्रक्चर) को साधारण जीआई पाइप के ढांचे के ऊपर अल्ट्रावायलेट स्टेबिलाइज्ड पालीथिन फिल्म 800 गेज की शीट से बनाया जाता है। ऐसे पाली हाऊस में वायु संचारण तथा तापक्रम नियंत्रण के लिए किसी प्रकार के विद्युत संचालित मशीन का प्रयोग नहीं किया जाता है। इस प्रकार के हाऊस में सर्दी के मौसम में खीरा, लौकी, शिमला मिर्च और टमाटर आदि की सब्जियों को उगाने के लिए काफी उपयुक्त होते हैं। पॉली हाऊस का स्ट्रक्चर ऐसा होना चाहिए कि वह हवा में गिर पाए। इस हाऊस को तैयार करने के लिए पूसा इंस्टीट्यूट दिल्ली के वैज्ञानिक किसानों की सहायता करते हैं। पूजा इंस्टीट्यूट दिल्ली से संपर्क कर पॉली हाऊस के स्ट्रक्चर का नमूना प्राप्त किया जा सकता है।

पाली हाऊस निर्माण के लिए सरकारी सहायता

पॉली हाऊस के तहत संरक्षित खेती कराने के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा काफी बढ़ावा दिया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में राज्य औद्यानिक मिशन के तहत प्रत्येक जिले के जिला उद्यान अधिकारी को पाली हाऊस निर्माण का लक्ष्य दिया गया है। इस साल सर्वाधिक लक्ष्य सहारनपुर जनपद को दिया गया है। इस जिले में 4000 वर्ग फीट में पॉली हाऊस निर्माण होने हैं। इसी प्रकार अन्य जिलों के लिए भी अलग अलग लक्ष्य निर्धारित किया गया है। 1000 वर्ग फीट के पॉली हाऊस निर्माण पर 9 लाख 35 हजार का खर्च आता है, जिसमें से पचास प्रतिशत अनुदान राज्य औद्यानिक मिशन के तहत किसान को प्रदान किया जाता है। इसके अलावा नेशनल हार्टिकल्चर बोर्ड बडौत द्वारा भी 25 प्रतिशत तक अनुदान दिए जाने का प्रावधान है। लेकिन इस बोर्ड से अनुदान प्राप्त करने के लिए किसान को बैंक से ऋण स्वीकृत कराना होगा। स्वीकृत ऋण पर ही 25 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है।

संरक्षित होती है पॉली हाऊस की खेती

जिला उद्यान विभाग के वरिष्ठ उद्यान निरीक्षक अरुण कुमार बताते हैं कि पॉली हाऊस के माध्यम से आफ सीजन सब्जियों और फूलों का उत्पादन आसानी से किया जा सकता है। सर्दी में पाला पड़ने और ओलावृष्टि का असर पॉली हाऊस की खेती पर नहीं होता है। इसके अलावा यह कई अन्य मायनों में भी फायदेमंद रहता है। इस हाऊस में महंगे बीजों का उत्पादन कर किसान बाजार में बिक्री कर अपनी आर्थिकी सुधार सकते हैं। प्रदेश सरकार द्वारा पॉली हाऊस के निर्माण पर आने वाली कुल लागत में से आधा खर्च वहन किया जाता है।



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