कुदरत के करिश्मे के आगे इंसानी ताकत पूरी तरह बौनी होती है। कुदरत के करिश्मे की बानगी गांव गंझेडी में देखने को मिली। इस गांव में एक महिला ने एक ऐसे बच्चे को जन्म दिया है, जिसके दोनों हाथ गायब है। बीस दिन की आयु पार कर चुका यह नवजात पूरी तरह से स्वस्थ्य है।
उत्तर प्रदेश के जनपद सहारनपुर के गांव गंझेड़ी निवासी साजिद अली पुत्र कालू का निकाह करीब एक साल पहले हीना परवीन से हुआ था। विगत 21 अक्टूबर को हीना को मां बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। एक निजी नर्सिंग होम में हीना ने एक बच्चे को जन्म दिया तो परिवार की खुशी का ठिकाना न रहा। परिवार का हर सदस्य बेटा पैदा होने पर खुशी में मस्त था, लेकिन परिवार के हर उस सदस्य को उस वक्त झटका लगा जब बच्चे को देखा गया। इस बच्चे के दोनों हाथ नहीं है। बच्चे का पिता साजिद मजदूरी करता है। उसने बताया कि बच्चा करीब 20 दिन का हो गया है। प्रसव भी नार्मल हुआ। बच्चे का वजन भी आम बच्चों की तरह सामान्य है। साजिद ने बताया कि बच्चे की सभी हरकत आम बच्चों की तरह है। जो रोता भी है और हंसता भी । बच्चा अपनी मां का दूध सेवन कर रहा है और काफी तंदुरुस्त भी है। बच्चे का नाम मोहम्मद अर्श रखा गया है। साजिद अली ने बताया कि सातवें महीने में स्केनिंग करायी गई थी तब भी बच्चे के बारे में ऐसा कुछ नहीं बताया गया था। गरीबी के चलते किसी डाक्टर के पास नहीं लेकर गये।
बिना हाथ वाले इस बच्चे को लेकर चिकित्सक भी हैरत में हैं। सहारनपुर जिला महिला चिकित्सालय की सीएमएस डा. पदमिनी जोशी बताती है कि अधिकांश केसों में बच्चे का सिर न बनने या ज्यादा बड़े होते हैं। वह बताती है कि गर्भ धारण के पहले तीन माह के दौरान गर्भ निरोधक दवाईयों या अन्य प्रकार की दवाई का ज्यादा मात्रा में प्रयोग करने से भ्रूण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। पहले तीन माह तक भ्रूण के अंग भी बनना प्रारंभ नहीं होते हैं, इस दौरान यदि बिना चिकित्सक की सलाह पर दवाई का सेवन कर लिया जाए तो उसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। डा. जोशी ने बताया कि यह मामला जेनेटिक भी हो सकता है।
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