सोमवार, 7 नवंबर 2011

असुविधाओं के बीच सिमट रहा है हैंडीक्राफ्ट



प्रतिवर्ष करोड़ों रूपये की विदेशी मुद्रा अर्जित करने के साथ विश्व स्तर पर बेहट की पहचान कराने वाला आयरन हैंडीक्राफ्ट सरकारी उपेक्षा एवं कच्चे माल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि के कारण सिमटता जा रहा है। दूसरी ओर, चीनी उत्पादों का बाजार में सस्ते उपलब्ध होने के कारण भी यह उद्योग बंदी के कगार पर पहुंच रहा है। जिसके चलते क्षेत्र के आयरन हैंडीक्राफ्ट का कार्य करने वाले उद्यमियों, कारीगरों व मजदूरों के समक्ष रोजी रोटी का संकट उत्पन्न हो रहा है। इस हालात में वह दिन दूर नहीं जब स्थानीय कारीगर आयरन हैंडीक्राफ्ट बनाने की कला ही भूल जायेंगे।
तीन दशक पूर्व क्षेत्र के गांव भूलनी में यह उद्योग घंटी उद्योग के नाम से शुरू हुआ था। जिसने धीरे-धीरे क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ बना ली। उस समय लगभग 300 छोटे-बडे कारखानों में यह उद्योग धंधा चलने लगा। शुरूआती दौर में मेलों में अपनी पहचान बनाने वाले इस उद्योग ने देश के बड़े शहरों तक अपनी पैठ बनाई। जिससे प्रभावित होकर दिल्ली-मुंबई आदि के निर्यातकों ने बेहट की ओर रूख किया। जिस पर बाद में यह उद्योग आयरन हैंडीक्राफ्ट के नाम से जाना गया। इस उद्योग से जहां व्यापक पैमाने पर क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिला, वहीं बेहट ने विश्व स्तर पर अपनी कला की पहचान बनाई। उस समय निर्यातकों ने विदेशी बाजारों में सैंपल ले जाने के बाद आर्डर पर माल तैयार कर मोटी कमाई की। हालांकि कुछ समय बाद यहां के कुछ उद्यमियों ने लाइसेंस हासिल कर बेहट से सीधे निर्यात शुरू कर दिया। यहां के कारीगरों द्वारा निर्मित किये गये हैंडीक्राफ्ट को इंडोनेशिया, अमेरिका, ब्रिटेन आदि देशों में विशेष दर्जा मिलता था, लेकिन सरकारी मदद न मिल पाने कारण इस उद्योग की कमर लगातार टूटती जा रही है और क्षेत्र में यह उद्योग सिमटता जा रहा है। क्षेत्र में विद्युत व्यवस्था चरमराने से भी इस उद्योग पर संकट के बादल छा रहे हैं।
आयरन हैंडीक्राफ्ट से जुडे उद्यमी अतीक अहमद, हाजी इसरार, मिर्जा अबरार आदि का कहना है कि कच्चा माल उपलब्ध न होने व सुविधाओं के अभाव में यह उद्योग बंदी के कगार पर पहुंच रहा है। इस उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए कस्बे में बायर भवन स्थापित किये जाने, सीधे बायर बुलाने एवं आसानी से कच्चा माल उपलब्ध कराने की कई बार मांग कर चुके हैं लेकिन आज तक इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। दूसरी ओर, चीन द्वारा आयरन हैंडीक्राफ्ट के क्षेत्र में उतर जाने के कारण भी यहां के आयरन उद्योग को झटका लगा हैं क्योंकि चीन में कच्चा माल सस्ता होने के साथ लेवर भी सस्ते दामों में आसानी से उपलब्ध हो जाती है। इतना ही नहीं दिल्ली, जयपुर, मुरादाबाद, चंडीगढ़ आदि के सप्लायरों ने बेहट की तर्ज पर अपने आयरन हैंडीक्राफ्ट कारखाने खोलकर सीधे अमेरिका, फ्रांस पुर्तगाल, कनाडा, जार्डन, इंग्लैड आदि देशों कों को निर्यात करना प्रारम्भ कर दिया है। जिसके कारण भी बेहट का आयरन उद्योग पिछडता जा रहा है। जिससे क्षेत्र के सैकड़ों उद्यमी एवं हजारों कारीगरों के सामने रोजी-रोटी का संकट बन गया है।

कोई टिप्पणी नहीं: