मंगलवार, 28 जून 2011
मुझे प्यार की जिंदगी देने वाले
सागर बहुत ही स्मार्ट और हैंडसम लड़का है। उसका स्वभाव भी सूरत के ही अनुरूप। जो भी व्यक्ति सागर से पहली बार बात करता है, प्रभावित हुए बिना नहीं रहता। यही कारण है कि कॉलेज लाइफ से लेकर आज तक उसे पसंद करने वाली लड़कियों की फेहरिस्त काफी लंबी है।
इन दीवानी लड़कियों के साथ घूमना-फिरना, पार्टी, मौजमस्ती और फिर नई की तलाश में लग जाना सागर की सबसे बड़ी कमजोरी है। लड़कियां भले ही उस पर जान छिड़कें लेकिन उसने कभी किसी लड़की को ज्यादा भाव नहीं दिया। कारण पूछो तो कहता है एक ड्रेस को आखिर कितने दिन पहने रखा जा सकता है।
लेकिन घर के पड़ोस के फ्लैट में पढ़ाई के लिए दूसरे शहर से रहने आई पीहू को देखकर सागर का दिल बस में नहीं और दूसरी लड़कियों की तरह पीहू भी उस पर मर मिटी। लेकिन पीहू को उसने गंभीरता से लिया। बस यहीं से सागर का दिल बदला और पीहू की खातिर उसने खुद को बदलने की सोची।
पीहू को अपने बारे में सब सच-सच बताकर उससे वादा किया कि अब वह लड़कियों को इस तरह से परेशान नहीं करेगा और उनसे अपनी गलतियों के लिए माफी भी माँग लेगा। सागर ने ऐसा किया भी। वाकई पीहू के प्यार ने उस पर जादू कर दिया था।
एक दिन पीहू के शहर का लड़का उमेश आया और उसे यह बोलकर परेशान करने लगा कि पीहू उसकी प्रेमिका है। जबकि पीहू उसको जानती तक नहीं थी। काफी वाद विवाद के बाद नौबत मारपीट तक आ गई। उमेश को पुलिस के हवाले कर दिया गया।
इधर पीहू का कोर्स खत्म होने को था जब सागर ने शादी के लिए पीहू की मर्जी जाननी चाही तो उसने मम्मी-डैडी की पसंद का हवाला देकर शादी करने से मना कर दिया। पीहू की बात मानकर सागर ने शादी की जिद छोड़ दी और पीहू मिलते रहने का वादा कर अपने शहर चली गई।
बाद में लाख कोशिश करने पर भी सागर का पीहू से कांटैक्ट नहीं हो पा रहा था। एक रोज उमेश आकर सागर से मिला। और पीहू के वास्तविक जीवन के बारे में उसने उमेश को बताया जिसे सुनकर सागर हक्काबक्का रह गया। उमेश के अनुसार पीहू भी सागर जैसी ही लड़की थी जोकि अपने चक्कर में लड़कों को फँसाकर उन्हें बुद्धू बनाती रहती थी। उसकी इन्हीं आदतों से परेशान होकर माता-पिता ने उसे शहर से दूर पढ़ाई के लिए भेजा था।
आज सागर दिल से बहुत दुखी था और सोच रहा था कि जब मैं लड़कियों को बेवकूफ बनाता था तो मेरे साथ कोई ऐसा धोखा नहीं कर सका लेकिन जब मैंने सुधरना चाहा तब मेरे साथ धोखा हुआ। सागर को प्यार भरी जिंदगी देने वाले शख्स ने ही दुख-दर्द दिया था।
खुद को मिटा रहे हैं, किसके लिए?
हेलो दोस्तो! कई बार यह जानते हुए भी कि जो आप कर रहे हैं उससे कुछ हासिल नहीं होने वाला है फिर भी वही करते चले जाते हैं। यूं तो उम्मीद की आस नहीं छोड़ना अच्छी बात है पर जिस झूठी आशा से जिंदगी तबाह होती हो उससे तो कहीं बेहतर है हकीकत की दुनिया में लौट आना।
किसी चमत्कार के इंतजार में जीना कई बार आपको बेहद खौफनाक मोड़ पर लाकर खड़ा कर देता है। इसीलिए सच्चाई को जितनी जल्दी पहचान लें उतना बेहतर। अनुराग (बदला हुआ नाम) भी कुछ ऐसी ही गंभीर परिस्थितियों में पड़कर दिशाहीन हो चुके हैं। पूरा का पूरा सच सामने होते हुए भी वह सपनीले संसार के इंतजार में हैं। उन्हें लगता है उनकी दिल की तड़प रंग लाएगी और उनका सपना वास्तविकता में बदल जाएगा।
दरअसल, अनुराग अपनी बहुत दूर की रिश्तेदार से प्रेम करते हैं और वह लड़की भी प्यार का दम भरती है पर लड़की के घर वाले इस रिश्ते के बिलकुल खिलाफ हैं परिवार वालों ने लड़की को अनुराग से दूर रखने के लिए पढ़ाई के नाम पर दूसरे शहर भेज दिया है और साथ ही लड़की को यह भी जता दिया है कि वह किसी भी हालत में उनकी शादी अनुराग से नहीं होने देंगे। तुर्रा यह कि लड़की ने भी ऐलान कर दिया है कि यदि मां-बाप राजी नहीं हैं तो वह शादी नहीं करेगी। फिर भी उसका दावा है कि वह अनुराग से बेहद प्रेम करती है। और मजे की बात यह है कि अनुराग भी केवल उसके दावे को ही याद रखना चाहता है। परिवार के खिलाफ वह कभी नहीं जाएगी यह बात वह अपने दिमाग से मिटा देते हैं।
आप अपना जीवन जितनी भी यातनाओं से भर लें पर वह लड़की आपको नहीं मिलने वाली है। उसके दिमाग में यह बात एकदम साफ है कि वह अपने परिवार के विरुद्ध नहीं जाएगी। यह उसने आपको ईमानदारी से जता भी दिया है। अगर वह यह भी कहती है कि वह आपको प्यार करती है तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। ऐसा मुमकिन है कि वह साथ तो परिवार का दे और प्यार आप से करे। दरअसल, उसमें जोखिम उठाने की हिम्मत नहीं है। फिर वह अभी पढ़ रही है इसलिए अपने परिवार के खिलाफ जाना उसके लिए संभव भी नहीं है।
आपको इस बात से खुश होना चाहिए कि वह सच्चाई का दामन थामे खड़ी है और आपको गुमराह नहीं कर रही है। वह आपको बेवकूफ बनाने के लिए यह कह सकती थी कि इंतजार करो। पर, उसने ऐसा नहीं किया है। आपने लिखा है कि वह कहती है कि वह आपके बिना नहीं रह सकती है पर व्यावहारिक रूप में आप देखें तो यह सच नहीं है। वह आपसे दूर रहकर आराम से अपनी पढ़ाई कर रही है। आप उसके कहने को अपना अरमान बनाए बैठे हैं। हमेशा जुबान से कह देने भर से सबकुछ वैसा ही नहीं हो जाता है। कहे अनुसार एक्शन भी लेना पड़ता है पर आपकी दोस्त केवल अपने उसी कथन को वास्तविकता में बदलती हुई दिख रही हैं जो वह अपने परिवार के लिए कहती हैं।
हो सकता है अभी उसके लिए यह सोचना अटपटा लग रहा हो कि वह किसी और को कैसे प्रेम कर पाएगी पर जब उसने घर वालों की पसंद से शादी का मन बना लिया है तो वह शादी भी कर लेगी और घर भी बसा लेगी। उसके यह कहने में कोई दम नहीं है कि वह आपके बिना रह नहीं सकती है। आपके अकेले चाहने से तो यह शादी नहीं हो सकती है। अगर वह आपका साथ देती तो आप कुछ आस पाल भी सकते थे पर उसने अपनी मजबूरी और इरादा दोनों ही बता दिए हैं।
आपकी भलाई इसी में है कि आप भी इस हकीकत को मानकर आगे बढ़ जाएं वरना, सिवाय बरबादी के आपके हाथ कुछ नहीं लगेगा। यदि वह साथ देती तो चाहे आप पूरी दुनिया से पंगा ले लेते पर अब आपका फर्ज अपने घरवालों के लिए भी बनता है। आपको इस प्रकार घुल-घुलकर मरते देखकर उन्हें कैसा लगेगा यह विचार आपके मन में आना चाहिए। अपने आप पर दया नहीं आती है तो कम से कम अपने माता-पिता पर दया करें।
एक बात और याद रखें, आप चाहे अपना जितना भी बुरा हाल कर लेंगे उससे आपकी दोस्त का फैसला नहीं बदलेगा। अपने मां-बाप की रजामंदी के बिना वह आपके साथ शादी के विचार से कतई सहमत नहीं है। इतने बड़े सच को नकारना सही नहीं है। आप जिस समय यह स्वीकार लेंगे कि यह शादी किसी कीमत पर नहीं हो सकती है। आप पीड़ा के बावजूद इस काल्पनिक बंधन से मुक्त हो जाएंगे। अपने आपको मुक्त करें और आगे बढ़ें। सुंदर जीवन आपके स्वागत में है।
सोमवार, 27 जून 2011
कहानी- चुड़ैल से शादी ???
रविवार, 26 जून 2011
हाथों में कड़ा पहनें, हमेशा बीमारियों से रहेंगे दूर
असंयमित दिनचर्या के चलते मौसमी बीमारियों से लड़ पाना काफी मुश्किल हो गया है। जल्दी-जल्दी सफलताएं प्राप्त करने की धुन में कई लोग सही समय पर खाना भी खा पाते। जिससे शारीरिक कमजोरी बढ़ जाती है और वे लोग मौसम संबंधी बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। इन सभी बीमारियों से बचने के लिए हाथों में कड़ा पहनना सटीक उपाय बताया गया है।
ज्योतिष में बीमारियों से बचने के लिए कई उपाय बताए गए हैं। यदि कोई व्यक्ति बार-बार बीमार होता है तो यह उपाय करें-
जो व्यक्ति बार-बार बीमार होता है उसके सीधे हाथ के नाप का कड़ा बनवाना है। कड़ा अष्टधातु का रहेगा। इसके लिए किसी भी मंगलवार को अष्टधातु का कड़ा बनवाएं। इसके बाद शनिवार को वह कड़ा लेकर आएं। शनिवार को ही किसी भी हनुमान मंदिर में जाकर कड़े को बजरंग बली के चरणों में रख दें। अब हनुमान चालिसा का पाठ करें। इसके बार कड़े में हनुमानजी का थोड़ा सिंदूर लगाकर बीमार व्यक्ति स्वयं सीधे हाथ में पहन लें।
ध्यान रहे यह कड़ा हनुमानजी का आशीर्वाद स्वरूप है अत: अपनी पवित्रता पूरी तरह बनाए रखें। कोई भी अपवित्र कार्य कड़ा पहनकर न करें। अन्यथा कड़ा प्रभावहीन हो जाएगा।
छाते का दान करोगे तो घर में बरसेगा पैसा और सुख
अन्य लोगों की मदद करना ही इंसानियत का पहला धर्म है। वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी काले छाते का दान करने में कई ग्रह दोषों का नाश हो जाता है। काला रंग शनि ग्रह से संबंधित है और शनिदेव जरूरतमंद और गरीब लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में है या अशुभ दृष्टि रखता है तो उसे कई प्रकार के कष्ट झेलने पड़ते हैं। चूंकि शनिदेव को न्यायाधिश का पद प्राप्त है अत: इनके इस चक्र से बच पाना संभव नहीं है। हमारे सभी अच्छे-बुरे कर्मों का उचित फल अवश्य ही प्राप्त होता है।
शनि के साथ ही राहु और केतु द्वारा बनने वाले कालसर्प योग में भी छाते का दान राहत प्रदान करता है। गरीबों की दुआंओं के बल पर हमारे बुरे समय का प्रभाव कम हो जाता है। घर तथा आर्थिक क्षेत्र में आ रही बाधाएं दूर हो जाती हैं। पैसों के संबंध में आ रही रुकावटें दूर होने के बाद व्यक्ति को मेहनत के अनुसार अच्छा पैसा मिलने लगता है।
आसाम का काला जादू और तंत्र सिद्ध महिलाएं..... आसाम को ही पुराने समय में कामरूप प्रदेश के रूप में जाना जाता था। कामरुप प्रदेश को तन्त्र साधना के गढ़
आसाम को ही पुराने समय में कामरूप प्रदेश के रूप में जाना जाता था। कामरुप प्रदेश को तन्त्र साधना के गढ़ के रुप में दुनियाभर में बहुत नाम रहा है। पुराने समय में इस प्रदेश में मातृ सत्तात्मक समाज व्यवस्था प्रचलित थी, यानि कि यंहा बसने वाले परिवारों में महिला ही घर की मुखिया होती थी। कामरुप की स्त्रियाँ तन्त्र साधना में बड़ी ही प्रवीण होती थीं। बाबा आदिनाथ, जिन्हें कुछ विद्वान भगवान शंकर मानते हैं, के शिष्य बाबा मत्स्येन्द्रनाथ जी भ्रमण करते हुए कामरुप गये थे। बाबा मत्स्येन्द्रनाथ जी कामरुप की रानी के अतिथि के रुप में महल में ठहरे थे। बाबा मत्स्येन्द्रनाथ, रानी जो स्वयं भी तंत्रसिद्ध थीं, के साथ लता साधना में इतना तल्लीन हो गये थे कि वापस लौटने की बात ही भूल बैठे थे। बाबा मत्स्येन्द्रनाथ जी को वापस लौटा ले जाने के लिये उनके शिष्य बाबा गोरखनाथ जी को कामरुप की यात्रा करनी पड़ी थी। 'जाग मछेन्दर गोरख आया' उक्ति इसी घटना के विषय में बाबा गोरखनाथ जी द्वारा कही गई थी।
कामरुप में श्मशान साधना व्यापक रुप से प्रचलित रहा है। इस प्रदेश के विषय में अनेक आश्चर्यजनक कथाएँ प्रचलित हैं। पुरानी पुस्तकों में यहां के काले जादू के विषय में बड़ी ही अद्भुत बातें पढऩे को मिलती हैं। कहा जाता है कि बाहर से आये युवाओं को यहाँ की महिलाओं द्वारा भेड़, बकरी बनाकर रख लिया जाता था।
आसाम यानि कि कामरूप प्रदेश की तरह ही बंगाल राज्य को भी तांत्रिक साधनाओं और चमत्कारों का गढ़ माना जाता रहा है। बंगाल में आज भी शक्ति की साधना और वाममार्गी तांत्रिक साधनाओं का प्रचलन है। बंगाल में श्मशान साधना का प्रसिद्ध स्थल क्षेपा बाबा की साधना स्थली तारापीठ का महाश्मशान रहा है। आज भी अनेक साधक श्मशान साधना के लिये कुछ निश्चित तिथियों में तारापीठ के महाश्मशान में जाया करते हैं। महर्षि वशिष्ठ से लेकर बामाक्षेपा तक अघोराचार्यों की एक लम्बी धारा यहाँ तारापीठ में बहती आ रही है।
इन छोटे-छोटे उपायों से होगा धन लाभ
जिंदगी बहुत छोटी है। कुछ लोग जीवन भर अभाव में ही जीते हैं और धन के लिए तरसते रहते हैं। ऐसा नहीं है कि वे मेहनत नहीं करते लेकिन मेहनत के साथ-साथ दैनिक जीवन में कुछ साधारण उपाय भी किए जाएं तो मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन लाभ के अवसर बढ़ जाते हैं। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कुछ साधारण उपाय नीचे दिए गए हैं।
उपाय
- प्रतिदिन सुबह नित्य कर्मों से निवृत्त होकर मां लक्ष्मी को लाल पुष्प अर्पित करके दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं। धन लाभ होगा।
- कालीमिर्च के 5 दाने अपने सिर पर से 7 बार घुमाकर 4 दानों को चारों दिशाओं में फेंक दें तथा पांचवे दाने को आकाश की ओर उछाल दें। इससे अचानक धन लाभ होगा।
- पीपल के एक पत्ते पर श्रीराम लिखकर व उस पर मिठाई रखकर हनुमान मंदिर में चढ़ा आएं। इससे भी धन लाभ होता है।
- अगर बरकत नहीं हो रही हो तो शुक्रवार के दिन से प्रतिदिन शाम के समय श्रीमहालक्ष्मी के सामने या तुलसी के पौधे के पास गाय के घी का दीपक लगाएँ। धन लाभ का यह अचूक उपाय है।
- अगर कोई बकाया धन नहीं दे रहा हो तो रात के समय किसी चौराहे पर जाकर एक छोटा सा गड्ढा खोदें और उस व्यक्ति का नाम लेते हुए उसमें एक गोमती चक्र दबा दें। कुछ ही समय में आपका पैसा मिल जाएगा।
- सोमवार के दिन श्मशान में स्थित महादेव मंदिर में जाकर दूध में शुद्ध शहद मिलाकर चढ़ाएं।
- प्रत्येक अमावस्या के दिन घर की साफ-सफाई करें और पितरों के निमित्त गुड़-घी व चावल की धूप दें। इससे भी धन लाभ होता है।
मंगलवार, 7 जून 2011
भगवान कालभैरव का अनोखा मंदिर
रीतेश पुरोहित
मध्य प्रदेश के शहर उज्जैन को मंदिरों का शहर कहा जाता है। महाकालेश्वर की नगरी के साथ-साथ इसका ऐतिहासिक महत्व होने के कारण इस शहर में कई दर्जनों मंदिर हैं। वैसे तो काफी लोग यहां भगवान महाकाल के दर्शन करने आते हैं, लेकिन कालभैरव के मंदिर का यहां अपना ही महत्व है। यह मंदिर शहर से करीब आठ किलोमीटर दूर भैरवगढ़ नाम की जगह पर मौजूद है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक, कालभैरव को यह वरदान है कि भगवान शिव की पूजा से पहले उनकी पूजा होगी। ऐसे में उज्जैन जाने पर इस मंदिर में आपके न जाने से सकता है कि आपको महाकाल के दर्शन का आधा ही लाभ मिले।
दिलचस्प बात यह है कि भगवान कालभैरव की मूर्ति पर प्रसाद के तौर पर केवल शराब ही चढ़ाई जाती है और शराब से भरे हुए प्याले को मूर्ति के मुंह से लगाने पर वह देखते ही देखते खाली हो जाता है। मंदिर के बाहर भगवान कालभैरव को चढ़ाने के लिए देसी शराब की आठ से दस दुकानें लगी हैं। खास बात यह है कि इन दुकानों में लाइसेंस न होने की वजह से विदेशी ब्रैंड की शराब नहीं मिलती। वैसे, ये शहर से आपके लिए विदेशी शराब मंगवा जरूर सकते हैं।
मंदिर में शराब चढ़ाने की गाथा भी बेहद दिलचस्प है। यहां के पुजारी बताते हैं कि स्कंद पुराण में इस जगह और इसके धार्मिक महत्व का जिक्र है। इसके अनुसार चारों वेदों के रचियता भगवान ब्रह्मा ने जब पांचवें वेद की रचना का फैसला किया, तो उन्हें इस काम से रोकने के लिए देवता भगवान शिव की शरण में गए। लेकिन ब्रह्मा जी ने उनकी बात नहीं मानी। इस पर शिवजी ने क्रोधित होकर अपने तीसरे नेत्र से बालक बटुक भैरव को प्रकट किया। इस उग्र स्वभाव के बालक ने गुस्से में आकर ब्रह्मा जी का पांचवा मस्तक काट दिया। इससे लगे ब्रह्मा हत्या के पाप को दूर करने के लिए वह अनेक स्थानों पर गए, लेकिन उन्हें मुक्ति नहीं मिली। तब भैरव ने भगवान शिव की आराधना की और उन्होंने भैरव को बताया कि उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर ओखर श्मशान के पास तपस्या करने से उन्हें इस पाप से मुक्ति मिलेगी। तभी से यहां काल भैरव की पूजा हो रही है और धीरे-धीरे यहां एक बड़ा मंदिर बन चुका है। वैसे, इसका जीर्णोद्धार परमार वंश के राजाओं ने करवाया था।
रात दस बजे तक खुले रहने वाले इस मंदिर में रोजाना 200 से 250 क्वॉटर शराब चढ़ाई जाती है। इसकी वजह है कि कालभैरव की तामसिक पूजा। हालांकि, पहले यह मांस, मछली, मदिरा, मुदा और मैथुन के प्रसाद से पूरी होती थी, लेकिन अब चढ़ावा बस शराब तक सीमित रह गया है। मूर्ति को पिलाई जाने वाली यह शराब आखिरकार चली कहां जाती है, यह अपने-आप में एक अबूझ सवाल है। लोगों की मानें, तो यह सारी शराब भगवान की मूर्ति पीती है, लेकिन इसका पता लगाने के लिए 2001 में मंदिर के आस-पास हुई खुदाई में मिट्टी में शराब की मौजूदगी नहीं पाई गई।
भगवान कालभैरव का अनोखा मंदिर
मध्य प्रदेश के शहर उज्जैन को मंदिरों का शहर कहा जाता है। महाकालेश्वर की नगरी के साथ-साथ इसका ऐतिहासिक महत्व होने के कारण इस शहर में कई दर्जनों मंदिर हैं। वैसे तो काफी लोग यहां भगवान महाकाल के दर्शन करने आते हैं, लेकिन कालभैरव के मंदिर का यहां अपना ही महत्व है। यह मंदिर शहर से करीब आठ किलोमीटर दूर भैरवगढ़ नाम की जगह पर मौजूद है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक, कालभैरव को यह वरदान है कि भगवान शिव की पूजा से पहले उनकी पूजा होगी। ऐसे में उज्जैन जाने पर इस मंदिर में आपके न जाने से सकता है कि आपको महाकाल के दर्शन का आधा ही लाभ मिले।
दिलचस्प बात यह है कि भगवान कालभैरव की मूर्ति पर प्रसाद के तौर पर केवल शराब ही चढ़ाई जाती है और शराब से भरे हुए प्याले को मूर्ति के मुंह से लगाने पर वह देखते ही देखते खाली हो जाता है। मंदिर के बाहर भगवान कालभैरव को चढ़ाने के लिए देसी शराब की आठ से दस दुकानें लगी हैं। खास बात यह है कि इन दुकानों में लाइसेंस न होने की वजह से विदेशी ब्रैंड की शराब नहीं मिलती। वैसे, ये शहर से आपके लिए विदेशी शराब मंगवा जरूर सकते हैं।
मंदिर में शराब चढ़ाने की गाथा भी बेहद दिलचस्प है। यहां के पुजारी बताते हैं कि स्कंद पुराण में इस जगह और इसके धार्मिक महत्व का जिक्र है। इसके अनुसार चारों वेदों के रचियता भगवान ब्रह्मा ने जब पांचवें वेद की रचना का फैसला किया, तो उन्हें इस काम से रोकने के लिए देवता भगवान शिव की शरण में गए। लेकिन ब्रह्मा जी ने उनकी बात नहीं मानी। इस पर शिवजी ने क्रोधित होकर अपने तीसरे नेत्र से बालक बटुक भैरव को प्रकट किया। इस उग्र स्वभाव के बालक ने गुस्से में आकर ब्रह्मा जी का पांचवा मस्तक काट दिया। इससे लगे ब्रह्मा हत्या के पाप को दूर करने के लिए वह अनेक स्थानों पर गए, लेकिन उन्हें मुक्ति नहीं मिली। तब भैरव ने भगवान शिव की आराधना की और उन्होंने भैरव को बताया कि उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर ओखर श्मशान के पास तपस्या करने से उन्हें इस पाप से मुक्ति मिलेगी। तभी से यहां काल भैरव की पूजा हो रही है और धीरे-धीरे यहां एक बड़ा मंदिर बन चुका है। वैसे, इसका जीर्णोद्धार परमार वंश के राजाओं ने करवाया था।
रात दस बजे तक खुले रहने वाले इस मंदिर में रोजाना 200 से 250 क्वॉटर शराब चढ़ाई जाती है। इसकी वजह है कि कालभैरव की तामसिक पूजा। हालांकि, पहले यह मांस, मछली, मदिरा, मुदा और मैथुन के प्रसाद से पूरी होती थी, लेकिन अब चढ़ावा बस शराब तक सीमित रह गया है। मूर्ति को पिलाई जाने वाली यह शराब आखिरकार चली कहां जाती है, यह अपने-आप में एक अबूझ सवाल है। लोगों की मानें, तो यह सारी शराब भगवान की मूर्ति पीती है, लेकिन इसका पता लगाने के लिए 2001 में मंदिर के आस-पास हुई खुदाई में मिट्टी में शराब की मौजूदगी नहीं पाई गई।
kaalbhiarab
मध्य प्रदेश के शहर उज्जैन को मंदिरों का शहर कहा जाता है। महाकालेश्वर की नगरी के साथ-साथ इसका ऐतिहासिक महत्व होने के कारण इस शहर में कई दर्जनों मंदिर हैं। वैसे तो काफी लोग यहां भगवान महाकाल के दर्शन करने आते हैं, लेकिन कालभैरव के मंदिर का यहां अपना ही महत्व है। यह मंदिर शहर से करीब आठ किलोमीटर दूर भैरवगढ़ नाम की जगह पर मौजूद है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक, कालभैरव को यह वरदान है कि भगवान शिव की पूजा से पहले उनकी पूजा होगी। ऐसे में उज्जैन जाने पर इस मंदिर में आपके न जाने से सकता है कि आपको महाकाल के दर्शन का आधा ही लाभ मिले।
दिलचस्प बात यह है कि भगवान कालभैरव की मूर्ति पर प्रसाद के तौर पर केवल शराब ही चढ़ाई जाती है और शराब से भरे हुए प्याले को मूर्ति के मुंह से लगाने पर वह देखते ही देखते खाली हो जाता है। मंदिर के बाहर भगवान कालभैरव को चढ़ाने के लिए देसी शराब की आठ से दस दुकानें लगी हैं। खास बात यह है कि इन दुकानों में लाइसेंस न होने की वजह से विदेशी ब्रैंड की शराब नहीं मिलती। वैसे, ये शहर से आपके लिए विदेशी शराब मंगवा जरूर सकते हैं।
मंदिर में शराब चढ़ाने की गाथा भी बेहद दिलचस्प है। यहां के पुजारी बताते हैं कि स्कंद पुराण में इस जगह और इसके धार्मिक महत्व का जिक्र है। इसके अनुसार चारों वेदों के रचियता भगवान ब्रह्मा ने जब पांचवें वेद की रचना का फैसला किया, तो उन्हें इस काम से रोकने के लिए देवता भगवान शिव की शरण में गए। लेकिन ब्रह्मा जी ने उनकी बात नहीं मानी। इस पर शिवजी ने क्रोधित होकर अपने तीसरे नेत्र से बालक बटुक भैरव को प्रकट किया। इस उग्र स्वभाव के बालक ने गुस्से में आकर ब्रह्मा जी का पांचवा मस्तक काट दिया। इससे लगे ब्रह्मा हत्या के पाप को दूर करने के लिए वह अनेक स्थानों पर गए, लेकिन उन्हें मुक्ति नहीं मिली। तब भैरव ने भगवान शिव की आराधना की और उन्होंने भैरव को बताया कि उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर ओखर श्मशान के पास तपस्या करने से उन्हें इस पाप से मुक्ति मिलेगी। तभी से यहां काल भैरव की पूजा हो रही है और धीरे-धीरे यहां एक बड़ा मंदिर बन चुका है। वैसे, इसका जीर्णोद्धार परमार वंश के राजाओं ने करवाया था।
रात दस बजे तक खुले रहने वाले इस मंदिर में रोजाना 200 से 250 क्वॉटर शराब चढ़ाई जाती है। इसकी वजह है कि कालभैरव की तामसिक पूजा। हालांकि, पहले यह मांस, मछली, मदिरा, मुदा और मैथुन के प्रसाद से पूरी होती थी, लेकिन अब चढ़ावा बस शराब तक सीमित रह गया है। मूर्ति को पिलाई जाने वाली यह शराब आखिरकार चली कहां जाती है, यह अपने-आप में एक अबूझ सवाल है। लोगों की मानें, तो यह सारी शराब भगवान की मूर्ति पीती है, लेकिन इसका पता लगाने के लिए 2001 में मंदिर के आस-पास हुई खुदाई में मिट्टी में शराब की मौजूदगी नहीं पाई गई।