सोमवार, 9 मार्च 2009

मेरी मंजिल

प्यार बनकर दिल की धड़कन में शामिल आप हैं।
देखिये दिल कह रहा है, मेरी मंजिल आप है।
दिल मे होता है उजाला आप के दीदार से।
आपको मेरे सिवा देखे न कोई प्यार से।
सबकी नजरों से छिपा लेने के काबिल आप है।
आपने नगमे दिए हैं जिंदगी के साज को।
आपसे मुझको मुहब्बत क्यों न हो, कैसे न हो।
रूह मेरी आप है, जां आप हैं, दिल आप हैं।
फ़िर सुहानी शाम, कितने रंग बिखरा के चली।
दिल की कश्ती प्यार की लहरों पे लहराती चली।
गम नहीं तूफां का मुझको, मेरे साहिल आप हैं।
-------------- प्रस्तुति- महेश शिवा

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