रविवार, 1 मार्च 2009

deewangi

किए जाओ नफरत का इजहार हंसकर
कभी तो करोगे हमे प्यार हंसकर
ये मखसूस दीवानगी है हमारी
कई बार रोये, कई बार हंसकर
हमीं हैं तुम्हारे तब्बसुम के मालिक
कहीं और देखा ख़बरदार हंसकर
तुम्ही ने बनाया, तुम्ही ने बिगाडा
किसी दिन तो करलो, ये इकरार हंसकर
इसे भी मुसीबत का अहसान समझो
मुसीबत मिली तो हर बार हंसकर
किसी में थी हिम्मत कहाँ लुटने की
हमीं ने लुटाया घरबार हंसकर
----- प्रस्तुती --- महेश शिवा

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